बुलडोजर के ऐक्शन से बस्ती में तोड़े 29 अवैध मकान, देहरादून में जारी रहेगा अतिक्रमण हटाओ अभियान

अतिक्रमण हटाओ अभियान लगातार जारी है। देहरादून में एमडीडीए ने गुरुवार को वीर गबर सिंह बस्ती में 29 अवैध मकान ध्वस्त कर दिए। यहां भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दो जेसीबी एवं मजदूरों की दस टीमों ने ध्वस्तीकरण का काम किया। इस दौरान टीम को लोगों के विरोध का सामना भी करना पड़ा।

दून में रिस्पना किनारे मार्च 2016 के बाद हुए निर्माण को हटाया जा रहा है। काठबंगला के बाद एमडीडीए ने गुरुवार को वीर गबर सिंह बस्ती में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की। सुबह ठीक दस बजे एमडीडीए के अफसर और कर्मचारियों के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल वीर गबर सिंह बस्ती के पास रिस्पना पर बने पुल पर पहुंचा।यहां गैंती-फावड़ा और घन लेकर पहुंचे मजदूरों की दस टीमें बनाई गईं। दो जेसीबी भी पहुंची। करीब आधा घंटे बाद ध्वस्तीकरण के लिए टीमें वीर गबर सिंह बस्ती पहुंच गईं। टीम को देखकर लोग घरों से बाहर निकल आए। कुछ लोग विरोध करने लगे तो कुछ खुद ही सामान समेटने लगे।

पुलिस ने विरोध करने वालों को मौके से हटाया। देर शाम तक चली कार्रवाई में 29 अवैध मकानों को मौके पर ध्वस्त कर दिया गया। प्रमाण दिखाने पर मिल गई राहत: एमडीडीए की टीम ने ध्वस्तीकरण के लिए पहले से मकानों को चिह्नित किया हुआ था, सभी मकानों पर लाल निशान लगाए गए थे।ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बीच एक मकान मालिक ने 2016 से पहले के निर्माण का प्रमाण दिखाया तो टीम ने मकान को ध्वस्त नहीं किया। देहरादून में एमडीडीए की टीम सिर्फ उन मकानों को ध्वस्त कर रही है, जो मार्च 2016 के बाद बनाए गए हैं।

विस्थापित करें या ध्वस्तीकरण बंद हो
घर ध्वस्त होते देख वीर गबर सिंह बस्ती के लोग मायूस दिखे। रिंकू और अंकुश का कहना था कि वे कई साल से यहां रह रहे थे। जीवनभर मजदूरी करके जमीन ली, पाई-पाई जुटाकर मकान बनवाया, अब उनको बेघर कर दिया गया है। बरसाती सीजन सिर पर है, ऐसे समय वे कहां जाएंगे?, बस यही चिंता सता रही है। उन्होंने मांग उठाई कि सरकार विस्थापित करे या बरसात में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बंद की जाए।

मकानों पर जेसीबी गरजती देख लोगों की आंखों से निकले आंसू

वीर गबर सिंह बस्ती में अपने घरों पर जेसीबी गरजती देख कई महिलाओं की आखों से आंसू निकल पड़े। कुछ महिलाएं सामान समेटते हुए तो कुछ बच्चों को गोद में लेकर फूट-फूटकर रोने लगीं। बच्चों को भी समझ नहीं आ रहा था कि मां क्यों रो रही है?

एक बच्चा तो मां की आंखों से आंसू टपकते देख अपने हाथों से पोंछने लगा। बस्ती में जैसे ही एमडीडीए की टीम ध्वस्तीकरण के लिए पहुंची, लोग निराश हो गए। महिलाएं मायूस होकर घरों से सामान समटने लगीं। जैसे ही घरों पर जेसीबी, गैंती-फावड़े और हथौड़े चले, महिलाएं रोने लगीं।गोद में दो साल के बच्चे को लेकर घर के बाहर खड़ी महिला बिलख पड़ी। बच्चा मां की आंखों से आंसू पोंछ रहा था। महिला का कहना था कि पति बीमार रहते हैं, वे किसी तरह पति के साथ दो बच्चों को पाल रही थीं। अब घर भी छिन गया है। बाकी महिलाएं भी रो रही थीं। एक घर से दिव्यांग को व्हीलचेयर से बाहर लाया गया।

आज चिह्नीकरण होगा और कार्रवाई कल होगी
वीर गबर सिंह बस्ती में 29 अवैध मकान ध्वस्त किए गए। इन घरों के लोगों ने आसपास के घरों में शरण ले ली है। वे जरूरी सामान और बच्चों के साथ पड़ोसियों संग रह रहे हैं। एमडीडीए शुक्रवार को वीर गबर सिंह बस्ती में अवैध मकानों का चिह्नीकरण करेगा और शनिवार को ध्वस्तीकरण होगा। गुरुवार को टीम में अधीक्षण अभियंता हरिचंद सिंह राणा और अधिशासी अभियंता सुनील कुमार मौजूद रहे।

काठबंगला बस्ती: टूटे घरों में रहने को मजबूर
काठबंगला बस्ती में बीते सोमवार को 26 अवैध मकान ध्वस्त किए गए थे, लेकिन मकानों को पूरी तरह नहीं तोड़ा गया था। यहां कुछ मकान ऐसे हैं, जो दो मंजिला था। उस दौरान टीम ने ऊपर की मंजिल को तो ध्वस्त कर दिया, लेकिन नीचे वाली मंजिल को ध्वस्त नहीं किया गया था। ऐसे मकानों में अभी भी लोग रह रहे हैं। लिहाजा, एमडीडीए की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *