वनाग्नि: उत्तराखंड के जंगलों के सुलगने का सिलसिला जारी, अब तक 1386 हेक्टेयर वन क्षेत्र को हुआ नुकसान; पांच लोगों की हुई मौत

 उत्तराखंड के जंगलों के सुलगने का सिलसिला जारी है। हालांकि, बुधवार को कुमाऊं में वर्षा के कारण कई स्थानों पर आग बुझ गई, लेकिन गढ़वाल मंडल में सिस्टम आग पर काबू पाने में जुटा रहा। बुधवार को भी प्रदेशभर में जंगल की आग की 40 नई घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें कुल 70 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है।

इसके साथ ही इस सीजन में आग की घटनाएं 1,000 के आंकड़े को पार कर चुकी हैं। अब तक कुल 1,038 घटनाओं में 1,386 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल चुका है। जबकि, जंगल की आग से पांच व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है और चार घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जंगल की आग पर काबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।पौड़ी के श्रीकोट क्षेत्र में वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने पानी का छिड़काव कर आग बुझाने में सहयोग किया। तीसरे दिन हेलीकाप्टर आग पर काबू पाने के बाद लौट गया। अन्य घटनास्थलों पर भी आग बुझाने में पूरी ताकत झोंक दी गई है।

शरारती तत्वों विरुद्ध भी वन विभाग की कार्रवाई जारी है। अब तक इस सीजन में जंगल में आग लगाने पर वन संरक्षण अधिनियम और वन अपराध के तहत 417 मुकदमे दर्ज कराए जा चुके हैं। जिनमें 356 मुकदमे अज्ञात और 61 मुकदमे ज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध कराए गए हैं। साथ ही अब तक कुल 75 व्यक्तियों को जंगल में आग लगाने पर गिरफ्तार किया जा चुका है। वन विभाग की ओर से मुख्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।

साथ ही जंगल की आग की सूचना देने के लिए नंबर भी जारी किए गए हैं। 18001804141, 01352744558 पर कॉल कर सकते हैं। साथ ही 9389337488 व 7668304788 पर वाट्सएप के माध्यम से भी सूचित कर सकते हैं। इसके अलावा राज्य आपदा कंट्रोल रूम देहरादून को भी 9557444486 और हेल्पलाइन 112 पर भी आग की घटना की सूचना दे सकते हैं।

प्रदेश में अब तक जंगल की आग की स्थिति क्षेत्र, घटना, प्रभावित क्षेत्र गढ़वाल क्षेत्र, 383, 470 कुमाऊं क्षेत्र, 571, 809 वन्यजीव आरक्षित, 84, 107 कुल, 1038, 1386 (प्रभावित क्षेत्र हेक्टेयर में है।) मानव घायल, 04 मानव मृत्यु, 05 हेस्को के कार्यों का अनुसरण करेगा वन विभाग देहरादून: वन विभाग की ओर से मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश के क्रम में जंगल की आग से निपटने के लिए त्वरित और दीर्घकालिक कार्यों को लेकर कसरत की जा रही है।

वन विभाग आवश्यकतानुसार चाल-खाल, जलकुंड बनाकर क्षेत्र की नमी को बढ़ाने के साथ आग की घटनाओं को न्यून किया जाएगा। इस दिशा में हेस्को की ओर से किए जा रहे कार्यों का अनुसरण किया जाएगा। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डा. धनंजय मोहन ने अधीनस्थों को निर्देश दिए हैं। आग के नियंत्रण में लगे फायर वाचर व अन्य श्रमिकों का जीवन बीमा कराने, उपचार समेत सुरक्षा मुहैया कराने को भी गंभीरता से कार्य किया जाएगा। इसके अलावा कंट्रोल रूम से मानीटरिंग व सभी नोडल अधिकारियों से रिपोर्ट भी मांगी गई है।

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