सीएम की घोषणा अधिकारियों ने हवा में उड़ा दी, 50 नहीं सिर्फ तीन रूपए किलो खरीदा जा रहा पिरूल

मई के महीने में हजारों हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ने के बाद सीएम धामी ने जब समीक्षा की तो जंगलों की आग का एक बड़ा कारण पिरूल को माना गया। जिस से निजात पाने के लिए सीएम ने सरकारी स्तर पर इसे खरीदने का निर्णय लिया था। सीएम धामी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल संस्था बनाते हुए 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से पिरूल खरीदने का आदेश दिया था। लेकिन वन विभाग सीएम धामी के आदेशों को दरकिनार करते हुए महज तीन रूपए किलो की दर से पिरूल खरीद रहा है।

सीएम के आदेशों को भी दरकिनार कर रहे अधिकारी

वनाग्नि की घटनाओं को कम करने के लिए पिरूल को खरीदने का प्लान सरकार ने बनाया। सीएम धामी ने पिरूल को खरीदने के लिए वन विभाग के अधीन आने वाले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल संस्था बनाया। सीएम ने 50 रुपए प्रति किलो की दर से पिरुल खरीदने का आदेश दिया था। लेकिन जब लोगों ने इकट्ठा करना शुरू किया और जब बेचा तो पता चला कि पिरूल पचास रूपए नहीं बल्कि तीन रूपए किलो खरीदा जा रहा है।

50 रुपए किलो पिरूल खरीदने की कही थी बात

आपको बता कें कि एक किलो पिरूल के 50 रूपए देने की बात कही गई थी। इसके साथ बी प्रदेशभर में 250 से ज्यादा पिरूल कलेक्शन सेंटर बनाने की बात भी कही गई थी। इसके लिए सीएम धामी ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल एजेंसी बनाने और 50 करोड़ का कारपस फंड बनाने का आदेश दिया था।

लेकिन जब लोगों ने पिरूल बेचा तो पता चला कि विभाग इसके लिए तीन रूपए प्रति किलो के हिसाब से भुगतान कर रहा है। लेकिन सवाल ये उठता है कि जब सीएम धामी ने इसे पचास रूपए किलो खरीदने के आदेश दिए थे तो इसे तीन रूपए किलो क्यों खरीदा जा रहा है ? क्यों वन विभाग के अधिकारी सीएम के आदेशों को भी दरकिनार कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *